दिल्ली मेहरौली का दोहरा मानदंड: गरीबों की दुकान तोड़ी, अवैध फ्लैट्स पर एमसीडी की चुप्पी ,भ्रष्टाचार की साजिश या सियासी रंजिश?
फटाफट पढ़े-मेहरौली के कालूराम चोक में MCD की दुकान तोड़ कार्रवाई पर फोकस करता है, जहां गरीब और विधवाएं प्रभावित हैं। पृष्ठभूमि: लाल डोरा क्षेत्र में अवैध फ्लैट्स (7-8 मंजिल) का निर्माण जारी, MCD नोटिस के बावजूद—भ्रष्टाचार का संकेत। आरोप: BJP विधायक गजेंद्र यादव का AAP पार्षद रेखा महेंद्र चौधरी पर पैसे लेकर निर्माण का दावा, चौधरी का इनकार। जनता की राय: राजनीतिक रंजिश, जाम की समस्या पर दोहरा मानदंड—सब हटना चाहिए। कुल: MCD, पुलिस, जनप्रतिनिधियों पर सवाल, गरीब पिस रहे।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 13 सितंबर 2025, 04:30 AM IST
रिपोर्ट दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली : दक्षिण दिल्ली का मेहरौली इलाका इन दिनों सियासी तूफान की चपेट में है, जहां MCD की कार्रवाई ने गरीबों की जीविका छीन ली है। थाना मेहरौली के कालूराम चोक के पास दशकों से पटरी पर दुकानें लगाने वाले दबे-पिछड़े लोग—जिनमें चार विधवाएं भी शामिल हैं—अपने छोटे-मोटे व्यवसाय से परिवार पाल रहे थे।
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लेकिन MCD ने RTI का हवाला देकर दुकानों को तोड़ दिया। ये आर टी आई सुनील पवार नाम के व्यक्ति ने लगाया . मेहरौली की AAP पार्षद रेखा महेंद्र चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने यहां गरीबो के लिए दुकान निर्माण करवाया, जबकि BJP विधायक गजेंद्र यादव का दावा है कि पार्षद और उनके पति महेंद्र चौधरी ने लोगों से पैसे लेकर दुकानें बनवाईं। महेंद्र चौधरी ने इसे "बेबुनियाद और झूठा आरोप" बताया।
याद रहे, 2025 दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP से महेंद्र चौधरी और BJP से गजेंद्र यादव आमने-सामने थे, और यादव मामूली मार्जिन से जीते। गजेन्द्र यादव को 48349 वोट मिले महेंद्र चोधरी को 48567 वोट मिले
लेकिन बड़ा सवाल: अगर जाम की समस्या है, तो क्या सिर्फ इन गरीबों की दुकानों से थी ? बाकि मेहरौली में अवैध फ्लैट्स का निर्माण क्यों नहीं रुक रहा? यह दोहरा मानदंड भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जहां MCD, पुलिस और जनप्रतिनिधि सवालों के घेरे में हैं। गरीब गुरबा पिस रही है, और सियासत चमक रही है—क्या दिल्ली में न्याय सिर्फ अमीरों का हक है?
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मेहरौली की पृष्ठभूमि: लाल डोरा की छूट से अवैध निर्माण का सिलसिला
मेहरौली दिल्ली के सबसे पुराने इलाकों में से एक है, जो 736 ईस्वी में टोमर राजपूतों द्वारा स्थापित हुआ था। यहां लाल कोट किला और अनंगपाल II की विरासत है, जो दिल्ली के सात मध्यकालीन शहरों में पहला माना जाता है। मेहरौली दिल्ली के 360 लाल डोरा क्षेत्रों में से एक है, जहां ग्रामीण इलाकों को शहरी नियमों से कुछ छूट मिली है—जमीन का उपयोग खेती या आवास के लिए बिना सख्त अनुमति के हो सकता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां वैध निर्माण का भरमार है, जो वास्तव में अवैध है। हर वार्ड में 7-8 मंजिल तक के फ्लैट्स बन रहे हैं, और निर्माण जारी है। MCD के नोटिस के बावजूद ये इमारतें किसके सह पर खड़ी हो रही हैं?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि दिल्ली में अवैध निर्माण भ्रष्टाचार का बड़ा स्रोत है, जहां MCD अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से लाखों कमाए जाते हैं। मेहरौली में गरीबों की अवैध रेहड़ी-पटरी MCD को दिख गई, लेकिन ये बहुमंजिला फ्लैट्स क्यों नहीं? अगर जाम की समस्या है, तो क्या इन दुकानों को तोड़ने से हल हो जाएगी? जनता कहती है—अगर हटाना है, तो सब हटाओ, नहीं तो यह सिलेक्टिव कार्रवाई राजनीतिक रंजिश है।
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मेहरौली की आम जनता की राय: "सियासी खेल में हम क्यों पिसें?"
मेहरौली के लोग इस कार्रवाई से गुस्से में हैं। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, "गरीबों की दुकान तोड़ दी, लेकिन अवैध फ्लैट्स पर चुप्पी—यह भ्रष्टाचार है!" लेकिन ज्यादातर MCD की सिलेक्टिव कार्रवाई पर सवाल उठा रही है। "मेहरौली में MCD ने गरीबों को बेघर किया, लेकिन अमीरों के फ्लैट्स सुरक्षित—पुलिस और नेता मिले हुए हैं?" विधवाओं के बारे में लोग कहते हैं, "उनके बच्चे भूखे रहेंगे, लेकिन सियासी रंजिश जारी रहेगी।" पार्षद रेखा महेंद्र चौधरी (AAP) और विधायक गजेंद्र यादव (BJP) की लड़ाई को लोग "मोर्चा" बताते हैं—दोनों एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं, लेकिन जनता की समस्या अनसुलझी। कुल राय: 80% लोग इसे राजनीतिक रंजिश मानते हैं, और MCD-पुलिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं। "अगर जाम है, तो फ्लैट्स क्यों नहीं हटाए जाते?"—यह सवाल हर जुबान पर है।
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विधवाओं का दर्द, सपनों का मलबा
कल्पना कीजिए, एक विधवा मां जो दशकों से पटरी पर दुकान लगाकर अपने बच्चों का पेट पालती है—सुबह से शाम तक मेहनत, और शाम को घर में रोटी। लेकिन MCD का बुलडोजर आया, और सब मलबे में बदल गया। मेहरौली की इन चार विधवाओं और गरीब परिवारों का दर्द सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि दिल तोड़ने वाला है। वे कहती हैं, "हमारी जीविका छिन गई, बच्चे क्या खाएंगे?" पार्षद रेखा महेंद्र चौधरी का निर्माण और उसके बाद MCD की कार्रवाई—यह सब सियासी खेल लगता है, जहां गजेंद्र यादव और महेंद्र चौधरी की दुश्मनी में गरीब पिस रहे हैं। दिल्ली की यह कहानी हजारों गरीबों की है, जहां अवैध फ्लैट्स अमीरों के लिए खड़े रहते हैं, लेकिन रेहड़ी-पटरी गरीबों की दुश्मन बन जाती है। यह इंसानी संघर्ष है—उम्मीदों का मलबा, जो सवाल पूछता है: क्या न्याय सिर्फ सत्ता वालों का है?
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